mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- मुद्दत हुई है यार को मिह्मां किये हुए
- जोश-ए क़दह से बज़्म चिराग़ां किये हुए
- कर्ता हूं जम`अ फिर जिगर-ए लख़्त-लख़्त को
- फिर वज़`-ए इह्तियात से रुक्ने लगा है दम
- बर्सों हुए हैं चाक-ए गरेबां किये हुए
- फिर गर्म-ए नालह्हा-ए शरर-बार है नफ़स
- मुद्दत हुई है सैर-ए चिराग़ां किये हुए
- फिर पुर्सिश-ए जराहत-ए दिल को चला है `इश्क़
- सामान-ए सद-हज़ार नमक्दां किये हुए
- फिर भर रहा हूं ख़ामह-ए मिज़ह्गां ब ख़ून-ए दिल
- साज़-ए चमन-तराज़ी-ए दामां किये हुए
- बा-हम-दिगर हुए हैं दिल-ओ-दीदह फिर रक़ीब
- नज़्ज़ारह-ए जमाल का सामां किये हुए
- दिल फिर तवाफ़-ए कू-ए मलामत को जाए है
- पिन्दार का सनम-कदह वीरां किये हुए
- फिर शौक़ कर रहा है ख़रीदार की तलब
- `अर्ज़-ए मत`-ए `अक़्ल-ओ-दिल-ओ-जां किये हुए
- दौड़े है फिर हर एक गुल-ओ-लालह पर ख़ियाल
- सद गुल्सितां निगाह का सामां किये हुए
- फिर चाह्ता हूं नामह-ए दिल्दार खोल्ना
- जां नज़्र-ए दिल-फ़रेबी-ए `उन्वां किये हुए
- मांगे है फिर किसी को लब-ए बाम पर हवस
- ज़ुल्फ़-ए सियाह रुख़ पह परेशां किये हुए
- चाहे है फिर किसी को मुक़ाबिल में आर्ज़ू
- सुर्मे से तेज़ दश्नह-ए मिज़ह्गां किये हुए
- इक नौ-बहार-ए नाज़ को ताके है फिर निगाह
- चह्रह फ़ुरोग़-ए मै से गुलिस्तां किये हुए
- फिर जी में है कि दर पर किसी के पड़े रहें
- सर ज़ेर-बार-ए मिन्नत-ए दर्बां किये हुए
- जी ढूंड्ता है फिर वही फ़ुर्सत कि रात दिन
- बैठे रहें तसव्वुर-ए जानां किये हुए
- ग़ालिब हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए अश्क से
- बैठे हैं हम तहीयह-ए तूफ़ां किये हुए
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- नुक्तह-चीं है ग़म-ए दिल उस को सुनाए न बने
- क्या बने बात जहां बात बनाए न बने
- मैं बुलाता तो हूं उस को मगर अय जज़्बह-ए दिल
- उस पह बन जाए कुछ ऐसी कि बिन आए न बने
- खेल सम्झा है कहीं छोड़ न दे भूल न जाए
- काश यूं भी हो कि बिन मेरे सताए न बने
- ग़ैर फिर्ता है लिये यूं तिरे ख़त को कि अगर
- कोई पूछे कि यह क्या है तो छुपाए न बने
- इस नज़ाकत का बुरा हो वह भले हैं तो क्या
- हाथ आवें तो उंहें हाथ लगाए न बने
- कह सके कौन कि यह जल्वह-गरी किस की है
- पर्दह छोड़ा है वह उस ने कि उठाए न बने
- मौत की राह न देखूं कि बिन आए न रहे
- तुम को चाहूं कि न आओ तो बुलाए न बने
- बोझ वह सर से गिरा है कि उठाए न उठे
- काम वह आन पड़ा है कि बनाए न बने
- `इश्क़ पर ज़ोर नहीं है यह वह आतिश ग़ालिब
- कि लगाए न लगे और बुझाए न बने
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
- कोई खुशियों की चाह में रोया
- कोई दुखों की पनाह में रोया..
- अजीब सिलसिला हैं ये ज़िंदगी का..
- कोई भरोसे के लिए रोया..
- कोई भरोसा कर के रोया..
- मोहबत को जो निभाते हैं उनको मेरा सलाम है,
- और जो बीच रास्ते में छोड़ जाते हैं उनको, हुमारा ये पेघाम हैं,
- “वादा-ए-वफ़ा करो तो फिर खुद को फ़ना करो,
- वरना खुदा के लिए किसी की ज़िंदगी ना तबाह करो”
- छू ले आसमान ज़मीन की तलाश ना कर,
- जी ले ज़िंदगी खुशी की तलाश ना कर,
- तकदीर बदल जाएगी खुद ही मेरे दोस्त,
- मुस्कुराना सीख ले वजह की तलाश ना कर
- तू चाँद मे सितारा होता
- आसमान के एक आशियाना में
- एक आशियाना हमारा होता
- लोग तुम्हे दूर से देखते
- नज़दीक से देखने का हक़ बस हमारा होता|
- शायर तो हम है शायरी बना देंगे
- आपको शायरी मे क़ैद कर लेंगे|
- कभी सूनाओ हमे अपनी आवाज़
- आपकी आवाज़ को हम ग़ज़ल बना देंगे.|
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- दर्द हो दिल में तो दवा कीजे
- दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजे
- हमको फ़रियाद करनी आती है
- आप सुनते नहीं तो क्या कीजे
- इन बुतों को ख़ुदा से क्या मतलब
- तौबा तौबा ख़ुदा ख़ुदा कीजे
- रंज उठाने से भी ख़ुशी होगी
- पहले दिल दर्द आशना कीजे
- अर्ज़-ए-शोख़ी निशात-ए-आलम है
- हुस्न को और ख़ुदनुमा कीजे
- दुश्मनी हो चुकी बक़द्र-ए-वफ़ा
- अब हक़-ए-दोस्ती अदा कीजे
- मौत आती नहीं कहीं, ग़ालिब
- कब तक अफ़सोस जीस्त का कीजे
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- यूं तो हम हिज़र में भी दीवार -ओ -दर को देखते हैं
- कभी सबा को कभी नामाबर को देखते हैं
- वो आये घर में हमारे खुदा की कुदरत है
- कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- आज फिर इस दिल में बेक़रारी है
- सीना रोए ज़ख्म-ऐ-कारी है
- फिर हुए नहीं गवाह-ऐ-इश्क़ तलब
- अश्क़-बारी का हुक्म ज़ारी है
- बे-खुदा , बे-सबब नहीं , ग़ालिब
- कुछ तो है जिससे पर्दादारी है
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- दुःख दे कर सवाल करते हो
- तुम भी ग़ालिब कमाल करते हो
- देख कर पूछ लिया हाल मेरा
- चलो कुछ तो ख्याल करते हो
- शहर-ऐ-दिल में उदासियाँ कैसी
- यह भी मुझसे सवाल करते हो
- मरना चाहे तो मर नहीं सकते
- तुम भी जिना मुहाल करते हो
- अब किस किस की मिसाल दू मैं तुम को
- हर सितम बे-मिसाल करते हो
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें
- चल निकलते जो में पिए होते
- क़हर हो या भला हो , जो कुछ हो
- काश के तुम मेरे लिए होते
- मेरी किस्मत में ग़म गर इतना था
- दिल भी या रब कई दिए होते
- आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब ’
- कोई दिन और भी जिए होते
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- सादगी पर उस के मर जाने की हसरत दिल में है
- बस नहीं चलता की फिर खंजर काफ-ऐ-क़ातिल में है
- देखना तक़रीर के लज़्ज़त की जो उसने कहा
- मैंने यह जाना की गोया यह भी मेरे दिल में है
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- मेह वो क्यों बहुत पीते बज़्म-ऐ-ग़ैर में या रब
- आज ही हुआ मंज़ूर उन को इम्तिहान अपना
- मँज़र इक बुलंदी पर और हम बना सकते “ग़ालिब”
- अर्श से इधर होता काश के मकान अपना
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- हर एक बात पे कहते हो तुम कि 'तू क्या है'
- तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
- न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा
- कोई बताओ कि वो शोखे-तुंद-ख़ू क्या है
- ये रश्क है कि वो होता है हमसुख़न तुमसे
- वर्ना ख़ौफ़-ए-बद-आमोज़िए-अ़दू क्या है
- चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन
- हमारी जेब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है
- जला है जिस्म जहाँ, दिल भी जल गया होगा
- कुरेदते हो जो अब राख, जुस्तजू क्या है
- रगों में दौड़ने-फिरने के हम नहीं क़ायल
- जब आँख ही से न टपका, तो फिर लहू क्या है
- वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़
- सिवाए वादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है
- पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार
- ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है
- रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी
- तो किस उमीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है
- हुआ है शाह का मुसाहिब, फिरे है इतराता
- वरना शहर में 'ग़ालिब; की आबरू क्या है
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के
- हम रहें यूँ तिश्ना-लब पैग़ाम के
- ख़स्तगी का तुम से क्या शिकवा कि ये
- हथकण्डे हैं चर्ख़-ए-नीली-फ़ाम के
- ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
- हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
- रात पी ज़मज़म पे मय और सुब्ह-दम
- धोए धब्बे जामा-ए-एहराम के
- दिल को आँखों ने फँसाया क्या मगर
- ये भी हल्क़े हैं तुम्हारे दाम के
- शाह के है ग़ुस्ल-ए-सेह्हत की ख़बर
- देखिए कब दिन फिरें हम्माम के
- इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया
- वर्ना हम भी आदमी थे काम के
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
- कौन जीता है तॆरी ज़ुल्फ कॆ सर होने तक
- दाम हर मौज में है हल्का-ए-सदकामे-नहंग
- देखे क्या गुजरती है कतरे पे गुहर होने तक
- आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब
- दिल का क्या रंग करूं खून-ए-जिगर होने तक
- हमने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन
- ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक
- परतवे-खुर से है शबनम को फ़ना की तालीम
- में भी हूँ एक इनायत की नज़र होने तक
- यक-नज़र बेश नहीं, फुर्सते-हस्ती गाफिल
- गर्मी-ए-बज्म है इक रक्स-ए-शरर होने तक
- गम-ए-हस्ती का 'असद' कैसे हो जुज-मर्ग-इलाज
- शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- इश्क़ मुझको नहीं, वहशत ही सही
- मेरी वहशत तेरी शोहरत ही सही
- क़त्अ कीजे, न तअल्लुक़ हम से
- कुछ नहीं है, तो अदावत ही सही
- मेरे होने में है क्या रुसवाई
- ऐ वो मजलिस नहीं, ख़ल्वत ही सही
- हम भी दुश्मन तो नहीं हैं अपने
- ग़ैर को तुझसे मुहब्बत ही सही
- हम कोई तर्के-वफ़ा करते हैं
- ना सही इश्क़, मुसीबत ही सही
- हम भी तस्लीम की ख़ू डालेंगे
- बेनियाज़ी तेरी आदत ही सही
- यार से छेड़ चली जाए 'असद'
- गर नहीं वस्ल तो हसरत ही सही
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- मिलती है ख़ू-ए-यार से नार इल्तेहाब में
- काफ़िर हूँ गर न मिलती हो राहत अज़ाब में
- कब से हूँ क्या बताऊँ जहान-ए-ख़राब में
- शब हाए हिज्र को भी रखूँगा हिसाब में
- ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भर
- आने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में
- क़ासिद के आते आते ख़त एक और लिख रखूँ
- मैं जानता हूँ वो जो लिखेंगे जवाब में
- मुझ तक कब उनकी बज़्म में आता था दौर-ए-जाम
- साक़ी ने कुछ मिला न दिया हो शराब में
- लाखों लगाव एक चुराना निगाह का
- लाखों बनाव एक बिगड़ना इताब में
- ग़ालिब छुटी शराब पर अब भी कभी कभी
- पीता हूँ रोज़-ए-अब्र-ओ-शब-ए-माहताब में
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
- बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
- डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उसकी गरदन पर
- वो ख़ूँ जो चश्म ए तर से उम्र भर यूँ दमबदम निकले
- निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन
- बहुत बेआबरू होकर तेरे कूंचे से हम निकले
- भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी का
- अगर उस तुररा ए पुरपेचोख़म का पेचोख़म निकले
- मगर लिखवाए कोई उसको ख़त तो हम से लिखवाए
- हुई सुबह और घर से कान पर रखकर क़लम निकले
- हुई इस दौर में मनसूब मुझसे बादा आशामी
- फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जामेजम निकले
- हुई जिनसे तवक़्क़ो ख़स्तगी की दाद पाने की
- वो हमसे भी ज़्यादा ख़स्ता ए तेग ए सितम निकले
- मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
- उसी को देख के जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
- कहाँ मैख़ाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वाइज़
- पर इतना जानते हैं कल वो जाता था के हम निकले
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आये क्यों
- रोएंगे हम हज़ार बार कोई हमें सताये क्यों
- दैर नहीं, हरम नहीं, दर नहीं, आस्तां नहीं
- बैठे हैं रहगुज़र पे हम, ग़ैर हमें उठाये क्यों
- जब वो जमाल-ए-दिलफ़रोज़, सूरते-मेह्रे-नीमरोज़
- आप ही हो नज़ारा-सोज़, पर्दे में मुँह छिपाये क्यों
- दश्ना-ए-ग़म्ज़ा जांसितां, नावक-ए-नाज़ बे-पनाह
- तेरा ही अक्स-ए-रुख़ सही, सामने तेरे आये क्यों
- क़ैदे-हयातो-बन्दे-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
- मौत से पहले आदमी ग़म से निजात पाये क्यों
- हुस्न और उसपे हुस्न-ज़न रह गई बुल्हवस की शर्म
- अपने पे एतमाद है ग़ैर को आज़माये क्यों
- वां वो ग़ुरूर-ए-इज़्ज़-ओ-नाज़ यां ये हिजाब-ए-पास-वज़अ़
- राह में हम मिलें कहाँ, बज़्म में वो बुलायें क्यों
- हाँ वो नहीं ख़ुदापरस्त, जाओ वो बेवफ़ा सही
- जिसको हो दीन-ओं-दिल अज़ीज़, उसकी गली में जाये क्यों
- 'ग़ालिब'-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन-से काम बन्द हैं
- रोइए ज़ार-ज़ार क्या, कीजिए हाय-हाय क्यों
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- वो फ़िराक और वो विसाल कहाँ
- को शब ओ रोज़ ओ माह ओ साल कहाँ
- फुर्सत-ए-कारोबार-ए-शौक किसे
- ज़ौक-ए-नज़ारा-ए-ज़माल कहाँ
- दिल तो दिल वो दिमाग भी ना रहा
- शोर-ए-सौदा-ए-खत्त-ओ-खाल कहाँ
- थी वो इक शख्स की तसव्वुर से
- अब वो रानाई-ए-ख़याल कहाँ
- ऐसा आसां नहीं लहू रोना
- दिल में ताक़त जिगर में हाल कहाँ
- हमसे छूटा किमारखाना-ए-इश्क
- वाँ जो जावे गिरह में माल कहाँ
- फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ
- मैं कहाँ और ये बवाल कहाँ
- मुज़महिल हो गए कवा ग़ालिब
- वो अनासिर में एतिदाल कहाँ
- बोसे में वो मुज़ाइक़ा न करे
- पर मुझे ताक़ते सवाल कहा
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- ये ना थी हमारी क़िस्मत के विसाल-ए-यार होता
- अगर और जीते रहते, यही इंतजार होता
- तेरे वादे पर जिये हम, तो ये जान झूठ जाना
- के खुशी से मर ना जाते, अगर 'ऐतबार' होता
- तेरी नाज़ुकी से जाना के बँधा था 'एहेद-ए-बोधा'
- कभी तू ना तोड़ सकता, अगर उस्तुवार होता
- कोई मेरे दिल से पूछे तेरे तीर-ए-नीम कश को
- ये खलिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता
- ये कहाँ की दोस्ती है के बने हैं दोस्त नासेह
- कोई चारासाज़ होता, कोई गम-गुसार होता
- रग-ए-संग से टपकता, वो लहू की फिर ना थमता
- जिसे गम समझ रहे हो, ये अगर शरार होता
- ग़म अगरचे जान-गुलिस हैं , पे कहाँ बचें के दिल हैं
- ग़म-ए-इश्क़ गर ना होता, ग़म-ए-रोज़गार होता
- कहूँ किस से मैं के क्या हैं शब-ए-ग़म बुरी बला हैं
- मुझे क्या बुरा था मरना अगर एक बार होता
- हुए मर के हम जो रुसवा, हुए क्यों ना गर्क-ए-दरिया
- ना कभी जनाज़ा उठता, ना कहीं मज़ार होता
- उसे कौन देख सकता के यगान हैं वो यक्ता
- जो दूई की बू भी होती, तो कहीं दो चार होता
- ये मसाइल-ए-तसव्वुफ़, ये तेरा बयान 'ग़ालिब'
- तुझे हम वली समझते, जो ना बादा-ख्वार होता
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या
- ज़ख़्म के भरते तलक नाख़ुन न बढ़ जावेंगे क्या
- बे-नियाज़ी हद से गुज़री बंदा-परवर कब तलक
- हम कहेंगे हाल-ए-दिल और आप फ़रमावेंगे क्या
- हज़रत-ए-नासेह गर आवें दीदा ओ दिल फ़र्श-ए-राह
- कोई मुझ को ये तो समझा दो कि समझावेंगे क्या
- आज वाँ तेग़ ओ कफ़न बाँधे हुए जाता हूँ मैं
- उज़्र मेरे क़त्ल करने में वो अब लावेंगे क्या
- गर किया नासेह ने हम को क़ैद अच्छा यूँ सही
- ये जुनून-ए-इश्क के अंदाज़ छुट जावेंगे क्या
- ख़ाना-ज़ाद-ए-ज़ुल्फ़ हैं ज़ंजीर से भागेंगे क्यूँ
- हैं गिरफ़्तार-ए-वफ़ा ज़िंदाँ से घबरावेंगे क्या
- है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त असद
- हम ने ये माना कि दिल्ली में रहें खावेंगे क्या
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- mirza ghalib shayari in hindi 2 lines
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- सूरज आग उगलता है
- सहना धरती को पड़ता है
- मोह्हबत निगाहे कराती है
- सहेना दिल को पड़ता है…
- सूरज आग उगलता है
- सहना धरती को पड़ता है
- मोह्हबत निगाहे कराती है
- सहेना दिल को पड़ता है…
- प्यार करने वाले मरते नही मार दिए जाते हैं,
- हिंदू कहते हैं मारदो इन्हे,
- मुस्लिम कहते हैं दफ़ना दो इन्हे,
- पर कोई ये क्यूँ नही कहता की मिला दो इन्हे.. ;(
- कोई बुक ऐसी मिलती जिस पे दिल लूटा देते
- हर सब्जेक्ट ने दिमाग़ खाया किसी 1 को निपटा देते
- अब syllabus देख कर ये सोचते हें की
- एक महीना ओर होता तो दुनिया हिला देते.
- हम कह पाते काश उन्हें के उन्ह दिल में बसाया है
- दुनिया की निगाहों से उन्हें हमेशा छुपाया है
- हम ज़ाहिर नहीं करना चाहते है अपने दिल की आशिकी को
- के हमने अपने यार को ही अपना रब्ब बनाया है
- हमारे बिन अधूरे तुम रहोगे,
- कभी चाहा था किसी ने,तुम ये खुद कहोगे,
- न होगे हम तो किसी ने ,तुम ये खुद कहोगे,
- मिलेगे बहुत से लेकिन कोई हम सा पागल ना होगा.
- ए खुदा मोहूबत भी तूने अजीब चीज बनाए है,
- तेरे ही बन्दे तेरी मस्जिद में तेरे ही सामने रोते है,
- लेकिन तुजे नहीं किसी और को पानेके लिये…
- में खफा नहीं हूँ जरा उसे बता देना
- आता जाता रहे यहाँ इतना समझा देना !
- में उसके गम में शरीक हूँ
- पर मेरा गम न उसे बता देना,
- जिन्दगी कागज की किश्ती सही,
- शक में न बहा देना !
- ये किताबों के किस्से , ये फसानो की बातें ,
- निगाहों की झिलमिल जुदाई की रातें|
- महब्बत की कसमें , निभाने के वादे ,
- ये धोखा वफ़ा का , ये झूठे इरादे |
- ये बातें किताबी ,ये नज्में पुरानी ,
- ना इन्की हकीक़त, ना इनकी कहानी|
- न लिखना इन्हें , ना महफूज़ करना ,
- ये जज्बे हैं बस, इनको महसूस करना..
- अपनों से दूर है अपनों की तलाश ,
- ज़िन्दगी से दूर है ज़िन्दगी की तलाश ,
- मैं अपने आप को कभी समझ नहीं पाया ,
- कि मैं जी रहा हूँ ज़िन्दगी या हूँ एक जिंदा लाश…..!!
- 💖💖
- मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी २ लाइन्स
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- चल मेरे हमनशीं चल अब इस चमन मे अपना गुजारा नही,
- बात होती गुलोँ तक तो सह लेते हम अब तो काँटो पे हक़ भी हमारा नही”
- “कभी चाहा तुझे ऐसा की रब जैसा पूजा, किस जगह मैने तुझे पुकारा नही,
- यु दर्द देकर क्या मिला तुजे? कह देते की तुमसे मिलना अब गँवारा नही”
- “अब चला हु घर से ये सोचकर कि इस साहिल का कोई किनारा नही,
- ढुंढुगा उसे ईस नजर से ना पा सका तो अब कोई नजारा नही”
- ऍ जालिमो अपनी किस्मत पे इतना नाज ना करो.
- वक्त तो बदलता ही रहता है,
- वो सुनेगा यकीँनन सदाऐँ ” अकेले की,
- क्या खुदा सिर्फ तुम्हारा है, हमारा नही?
- कभी पहली बार स्कूल जानेमे डर लगता था…आज अकेले ही दुनिया घूम लेते हे ।।
- पहले 1st नंबर लानेके लिए पढ़ते थे, आज कमाने के लिए पढ़ते हें !!
- गरीब दूर तक चलता हे… खाना खाने के लिए…
- अमीर दूर तक चलता हे … खाना पचाने के लिए …
- कीसी के पास खाने के लिये एक वक्त की रोटी नहीं हे …..
- कीसी के पास रोटी खाने के लिए वक़्त ही नहीं हे …
- कोई लाचार हे इस लिए बीमार हे, कोई बीमार हे इस लिये लाचार हे
- कोई अपनों के लिए रोटी छोड देता हे, कोई रोटी के लिए अपनों को छोड़ देता हे
- ये दुनीया भी कितनी निराली हे .. कभी वक़्त मीले तो सोचना…
- कभी छोटी सी चोट लगनेपे रोते थे, आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते हें!
- पहेले हम दोस्तों के सहारे रहते थे, आज दोस्तों की यादो मे रहते है!
- पहले लड़ना मारना रोज़ का काम था, आज एक बार लड़ते हें तो रिश्ते खो जाते हे!
- सच में जिन्दगीने बहुत कुछ सिखादिया, जाने कब हम को इतना बड़ा बना दिया
- ……
- हस्ती मिट जाती है आशियाँ बनाने मे,
- बहुत मुस्किल होती है अपनो को समझाने मे,
- एक पल मे किसी को भुला ना देना,
- ज़िंदगी लग जाती है किसी को अपना बनाने मे…
- दिल जित ले वो नजर हम भी रखते है,
- भीड़ में नजर आये वो असर हम भी रखते है,
- यु तो वादा किया है किसीसे मुस्कुराने का वरना आँखों में समंदर हम भी रखते है|
- गुल को गुलाब बना देते,
- गुलाब को कमल बना देते,
- जानम तुम हम पर मरते नहीं,
- वरना जोधपुर में भी ताजमहल बना देते!
- बड़ी मुश्किल से बना हूँ टूट जाने के बाद,
- मैं आज भी रो देता हूँ मुस्कुराने के बाद
- तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन,
- अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
- अब तक ढून्ढ रहा हूँ मैं अपने अन्दर के उस शख्स को,
- जो नज़र से खो गया है नज़र आने के बाद ..
- चाँदनी चाँद करता है चमकना सितारोँ को पडता है
- मोहब्बत आँखे करती है तडपना दिल को पडता है|
- इतनी पीता हू की मदहोश रहता हू.
- सब कुछ समझता हू पर खामोश रहता हू
- जो लोग करते ह मुझे गिराने की कोशिश
- मे अक्सर उन्ही के साथ रहता हू|
- जब जब में लेता हूँ साँस तू याद आती है,
- मेरी हर एक साँस मे तेरी खुश्बू बस जाती है,
- कैसे कहूँ तेरे बिना में ज़िंदा हूँ,
- क्यूंकी हर साँस से पहले तेरी खुसबु आती है…
- घर से बाहर वो नक़ाब मे निकली
- सारी गली उनकी फिराक मे निकली
- इनकार करते थे वो हमारी मोहब्बत से
- ओर हमारी ही तस्वीर उनकी किताब से निकली..
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- मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी २ लाइन्स
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- गुल गई गुलशन गई, गई होंठो की लाली,
- अब तो मेरा पीछा छोड़, तू हो गई बचो वाली
- तू चाँद और मैं सितारा होता,
- आसमान में एक आशियाना हमारा होता,
- लोग तुम्हे दूर से देखते,
- नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता..
- अपनो को दूर होते देखा ,
- सपनो को चूर होते देखा !
- अरे लोग कहते हैँ कि फूल कभी रोते नही ,
- हमने फूलोँ को भी तन्हाइयोँ मे रोते देखा !
- दुनिया प्यार करती हे बड़े जोर के साथ
- हमने भी किया था बड़े शोर के साथ
- अब न करेंगे
- करेंगे भी तो बड़े गौर के साथ
- क्यों की
- कल हमने उन्हें देखा था किसी और के साथ…
- हभ क्योँ गम करेँ
- अगर वो हमेँ ना मिले
- अरे! गम तो वो करेँ
- जिसे हम ना मिले
- लोगों ने कहा की मैं शराबी हूँ,
- मैने कहा उन्हो ने आँखों से पिलाइ है.
- लोगों ने कहा की मैं आशिक़ हूँ,
- मैने कहा आशिक़ी उन्हो ने सिखाई है.
- लोगों ने कहा राहुल तू शायर दीवाना है,
- मैने कहा उनकी मोहब्बत रंग लाई है.
- कितना भी चाहो ना भूला पाओगे
- हमसे जितना दूर जाओ नज़दीक पाओगे
- हमे मिटा सकते हो तो मिटा दो
- यादें मेरी, मगर….
- क्या सपनो से जुदा कर पाओ गे हमे|
- कभी किसी से प्यार मत करना
- हो जाए तो इनकार मत करना
- निभा सको तो चलना उसकी राह पर
- वरना किसी की ज़िंदगी बरबाद मत करना
- हम कहा थे इतने दिनों से …खुद हमको ही मालूम न था …
- ये वक्त भी क्या गुल खिलाती हे हमको कुछ याद ही नहीं …
- ज़िन्दगी के कुछ पल भी अजीब सी होती है खुद ही सो जाती हे…
- जागना चाह तो आंख खुली ही नहीं जब जागा तो कुछ याद्द ही नहीं …
- प्यार मे कोई दिल तोड़ देता है
- दोस्ती मे कोई भरोसा तोड़ देता है
- ज़िंदगी जीना तो कोई गुलाब से सीखे
- जो खुद टूट कर दो दिलों को जोड़ देता है…
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- मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी २ लाइन्स
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- मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी २ लाइन्स
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- जिंदगी में कुछ दोस्त खास बन गये
- मिले तो मुलाकात और बिछड़े तो याद बन गये
- कुछ दोस्त धीरे धीरे फिसलते चले गये
- पर जो दिल से ना गये वो आप बन गये
- नजर मिलाकर मेँरे पास आकर लुट लिया।
- नजर हटी ही नहीँ थी कि फिर मुस्कुराकर लुट लिया ।
- ऐ सुरज मेरे अपनो को पैगाम देना
- खुशीयो का दिन हसी कि शाम देना
- जब कोई पढे प्यार से मेरे SMS को
- तो उन को चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान देना
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- नज़र को नज़र की खबर ना लगे,
- कोई अच्छा भी इस कदर ना लगे,
- आपको देखा है बस उस नज़र से,
- जिस नज़र से आपको नज़र ना लगे…!
- चाहने से कोई चीज़ अपनी नही होती,
- हर मुस्कुराहट खुशी की नही होती,
- अरमान तो भूख होती है दिल मे,
- मगर कभी वक़्त तो कभी किस्मत सही नही होती….
- ना करो वो वादा जो पूरा ना हो सके,
- ना चाहो उसे जिसे पा ना सको,
- प्यार कहा किसीका पूरा होता है,
- पहेला प्यार अकशर अधुरा ही होता है!!!!
- काश मेरी ज़िन्दगी का अंत कुछ इस तरह हो
- की मेरी कबर पे बना उनका घर हो
- वो जब जब सोये ज़मीन पर
- मेरे सीने से लगा उसका सर हो!
- मा आपकी याद सताती है, मेरे पास आ जाओ,
- थक गया हूँ, मुझे अपने आंचल मैं सुलावो,
- उंगलियाँ अपनी फिराकार कर बालों में मेरे,
- एक बार फिर से बचपन की लोरियाँ सूनाओ…
- उगता हुआ सूरज दुआ दे आपको
- खिलता हुआ फूल खुशबू दे आपको
- हम तो कुछ भी देने के बाबिल नहीं,
- देनेवाला हज़ार खुशिया दे आपको!
- सैकड़ों नदियों को पीकर कश्तियाँ तक खा गए,
- गाँव गलियां सब पचाकर बस्तियां तक खा गए,
- वो वतन कि भूख को कैसे मिटायेंगे भला,
- जो शहीदों कि चिताओं की अस्थियाँ तक खा गए!!
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- मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी २ लाइन्स
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- खुशनसीब होते है वो लोग
- जो इस देश पे कुरबान होते हैं
- जान देके भी वो लोग अमर हो जाते हैं
- करते हैं सलाम उन देश प्रेमियो को
- जिनके कारण इस तिरंगे का मान होता है…
- खुशनसीब होते है वो लोग
- जो इस देश पे कुरबान होते हैं
- जान देके भी वो लोग अमर हो जाते हैं
- करते हैं सलाम उन देश प्रेमियो को
- जिनके कारण इस तिरंगे का मान होता है…
- जिंदगी में हर गम को छोड़ देना, ख़ुशी को नहीं,
- हर मुश्किल को खो देना, कामयाबी को नहीं,
- अगर ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े तो हमें खो देना,
- पर अपनी हसी को नहीं……
- आप क्या जानो हम आपको कितना याद करते है,
- हरपाल आपकी फर्याद करते है,
- रोज़ खत लिखते है कार्टून नेटवर्क को,
- आप को दिखाने की माँग करते है.
- मुहोबत के नशे में जब आदमी चूर होता है ,
- उसे महएबूब का हर फैसला मंजूर होता है.
- जो हमारा प्यार है,
- उन्हे किसी और से प्यार है,
- बस हार गये हम यह जानकार,
- की जिससे उन्हे प्यार है, वो हमारा यार है …
- गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है,
- चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है,
- बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख,
- तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है…
- यारो मेरे मरने के बाद, आँसू मत बहाना…
- यारो… मेरे मरने के बाद, आँसू मत बहाना…
- ज़्यादा याद आए, तो उपर चले आना…
- नजरे मिल जाती है, मगर नजरिया नहीं,
- प्यार हो जाता है, मगर उसका एहसास नहीं,
- एसा क्यों होता है जिन्दगी में की-
- दोस्त हज़ार मिल जाते है, मगर एक सच्चा जीवनसाथी नहीं……
- निकले जब आँसू उसकी आँखो से,
- दिल करता है सारी दुनिया जला दू,
- फिर सोचता हू होंगे दुनिया मे उसके भी अपने,
- कहीं अंजाने मे उसे और ना रुला दू..
- सासों मे भी शामिल हो,
- लहू मे भी रवा हो,
- मगर मेरे हाथो की लकीरो मे कहा हो
- कुछ सालों बाद नाजाने क्या समां होगा,
- नाजाने कौन दोस्त कहाँ होगा,
- फिर मिलना हुआ तो मिलेंगे यादों में,
- जैसे सूखे गुलाब मिलते हैं किताबों में |
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- मिर्ज़ा ग़ालिब शायरी इन हिंदी २ लाइन्स
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